Page 12 - NIS Hindi November 16-30
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      सपेशि ररपो्  संनवधान नदवस


        नञागररक हों ्यञा प्रशञासक,



        संिवधञान की भञावनञा के


        अनुरूप आगे बढ़ें: पीएर





        वष्ष 2015 से भारत में संनवधान नदवस मनाने की
        शुरुआत की गई। तब से िेकर अब तक अिग-
        अिग मौकरों पर प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने संनवधान

        की महत्ा को रेखांनकत करते हुए नागररकरों व
        प्रशासकरों को अपने अनधकाररों के साथ कत्षवयरों के

        ननव्षहन के प्रनत नजममेदार बनने का आह्ान नकया
        है। प्रधानमंत्ी मोदी के भाषण के चुननंदा अंश...


        n इसरिए सरवधान रदवस िमी रुरुआत: भारत नवनवधताओं से भरा
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          हआ देश है। हम सबको बांधने कली ताकत सनवधान में है। वरापक
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          रूप से सनमनार हो, वाद-नववाद हो, प्रनतरोनगता हो, हर पलीढ़ली के लोग
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          सनवधान के संबंध में सोचे, समझे, चचाया करें। एक ननरंतर म्न चलता
          रहना चानहए और इसनलए एक छोट सा प्ररास आरंभ हो रहा है।
        n िाननमी नहीं, सामारजि द्तावेज: इस सनवधान के संबंध में कभली-
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          कभली हम लोगों को लगता है नक रे ऐसा दट्तावेज है, नजसमें धारार हैं।   व्षि  2010  में  60  साि  ्पयूरे  हाेने  ्पर  ततिािमीन  मुख्मंत्मी  नरेंद्र  मयोदमी
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                                                              हाथिमी ्पर संरवधान िमी प्रत रख िर रयोभा ्ात्ा रनिािमी। इस ्ात्ा में
          नजन धाराओं से हमें करा करना, करा नहीं करना उसका राट्ता खोजना   मुख्मंत्मी खुद हाथिमी िे आगे ्पैदि चिे थिे।
          है। सरकार कैसे चलानली है, कैसे ननरम हैं, संसद कैसे चलानली है, करा
                                                        यु
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          करना है, ग्ाननवल ऑस्ट्टन ने भारत के सनवधान का वणयान करते हए   कभली सलीमांए लांघ देते हैं। इससे एक अराजकता पैदा होतली है और
          कहा ्ा, “रह एक सामानजक दट्तावेज है।”                 बाबा साहेब  अराजकता के वराकरण कली बात करते ्े। रे हम
        n दार्तव ियो समझें: कभली राजनलीनतक स्ट््नतरां हम पर हावली हो जातली   सबका दानरतव है, नागररक हो , शासन वरवट््ा हो, सरकार हो,
          हैं, कभली-कभार लाभ लेने के इरादे हावली हो जाते हैं और उसली के कारण   शासन वरवट््ा के नभन्न-नभन्न अंग हों। हर एक के बलीच तालमेल
                                                                                                       ं
          हम समट्राओं को राजनलीनतकरण करके जोड़ते हैं। सनवधान सभा में   नबठाने का सबसे बड़ा अगर कोई स्ोत है तो वह है हमारा सनवधान।
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          बैठे हए लोगों कली ऊंचाई हम सोचें, हम उनसे प्ररणा लें । करा दबाव   n सरवधान िमी व्ा्पिता: सभली के नलए समानता और सभली के प्रनत
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                                                                               ं
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          नहीं आए होंगे, करा आग्ह नहीं हए होंगे। लनकन सहमनत से एक   संवेदनशलीलता, हमारे सनवधान कली पहचान है। रह हर नागररक,चाह    े
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                                                                                        ं
          दट्तावेज बना जो आज भली हमें प्ररणा देता रहता है।     ग़रलीब हो रा दनलत, नपछड़ा हो रा वनचत, आनदवासली, मनहला सभली
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        n रजममदारमी िा अहसास हयो: डॉ. राधाकृषणन जली ने 14 अगट्त को     के मूलभूत अनधकारों कली रक्ा करता है। उनके नहतों को सयुरनक्त
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          कहा, “अगलली सबह से आज रात के बाद हम अंग्ेजों को दोि नहीं द  े  रखता है। हमारा कतयावर है नक हम सनवधान का अक्रशः पालन करें।
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          सकते, हम जो कुछ भली करेंगे उसके नलए हम ट्वरं नजममदार होंगे।   नागररक हों रा प्रशासक,सनवधान कली भावना के अनरूप आगे बढ़ें।
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                                                                            े
          ट्वतंत्र भारत को उस तरलीके से आंका जाएगा।” रे 2015, 01 नदसंबर   n ितषिव् भाव िमी प्रणा:  जनता के सा् संवाद करते समर कतयावरों
                                                                                         ं
          का भािण नहीं है, रे 14 अगट्त 1947 को डॉ. राधाकृषणन जली देख रह  े  कली बात करना हम ना भूलें। हमारा सनवधान हम भारत के लोग स  े
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          ्े नक कैसे-कैसे संकटों से हमें गयुजरना है।           शरू होता है... we the people of India... हम भारत के लोग हली
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        n सरवधान िमी भावना ि साथि जुड़ें: चतर लोग सनवधान को हली   इसकली ताकत हैं मैं जो कुछ हं - वो समाज के नलए हं,  देश के नलए
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          आधार बनाकर अनधकार का दयुरूपरोग करने कली हद तक भली कभली-  हं,  रहली कतयावर भाव हमारली प्ररणा का स्ोत है।
          10  न्यू इंडिया समाचार
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