Page 13 - NIS Hindi November 16-30
P. 13
सपेशि ररपो् ्ट हमारा राष्ट् धवज
हमारे रिए ्ह अरनवा्षि हयोगा रि हम भारतमी् मुस्िम,
ईसाई, ज्यूस, ्पारसमी और अन् सभमी, रजनिे रिए भारत
एि घर है, एि हमी धवज ियो मान्ता दें, इसिे रिए मर रमटें।
- राष्ट्र्पता महातमा गांधमी
भारत की शान है दतरंगा
भारत की पहचान है दतरंगा
पूरे देश में एक नवधान और एक ननशान सथानपत हो चुका है, आइए
जानते हैं राष्ट्ीय धवज- नतरंगा के इनतहास और महतव के बारे में जो
हर भारतीय के शरीर में नई ऊजा्ष का करता है संचार
षरिलीर धवज- नतरंगा। तलीन रंगों से सजा रह राषरिधवज
नसफ्क एक झंडा नहीं, भारत कली आन, बान और शान
राहै। रह 130 करोड़ से जरादा भारतलीरों कली आशाओं,
या
आकांक्ाओं, साहस-शौर, अनभमान के सा्-सा् सतर, शांनत,
पनवत्रता और संपन्नता का प्रतलीक भली है। नपछले सात दशकों में इस
नतरंगे के नलए कई सशट्त्र सैननकों ने अपने जलीवन का बनलदान नकरा
है। हर ट्वतंत्र राषरि का अपना एक धवज होता है, जो नसफ्क एक इस झंिे िे तमीनों रंगों और अरयोि चक्र िे बारे
ृ
पहचान नहीं, बस्लक उसके ट्वतंत्र होने का साक्ली भली होता है। अगर में तब िॉ. एस. राधािष्णन ने िहा थिा:
इसे राषरिनपता बापू के शबदों में कहें तो नकसली भली देश के नलए राषरि िेसरर्ा रंग: भगवा ्ा िेसरर्ा रंग त्ाग ्ा रन:्वाथिषि
धवज एक प्रकार कली पूजा है, नजसे नषट करना पाप होगा। अमेररकली भावना िा प्तमीि है। हमारे नेतागणों ियो भौरति सुखों से
नागररकों के नलए धवज पर बने नसतारे और पनट्टरों का अ्या उनकली रवर्त तथिा अ्पने िा्षि िे प्रत समर्पषित हयोना चारहए।
यु
दननरा है। इट्लाम धमया में नसतारे और अधया चनद्र का होना सववोत्तम सिेद रंग: झंिे िे मध् में सिेद रंग हमें सच्ाई िे ्पथि ्पर
े
वलीरता का आह्ान करता है। चिने और अचछे आचरण िमी प्रणा देता है।
देश जब 26 नवंबर को छठा संनवधान नदवस मना रहा है तो हरा रंग: हरा रंग रमट् टमी और वन््परत्ों िे साथि हमारे
नतरंगे कली महत्ता का नजरि ट्वाभानवक हो जाता है। नजसे मौजूदा संबंधों ियो उजागर िरता है, रजन ्पर सभमी प्ारण्ों िा
यु
ट्वरूप में आजादली के कुछ नदन पूवया 22 जलाई 1947 को संनवधान जमीवन आरश्रत है।
सभा कली बैठक में सवयासममनत से ट्वलीकार नकरा गरा ्ा। इसे 15 अरयोि चक्र: सफेद रंग के मधर में अशोक चरि धमया का प्रतलीक है।
अगट्त 1947 और 26 जनवरली 1950 के बलीच भारत के राषरिलीर इस झंडे तले शासन करने वाले लोगों को सतर, धमया रा नैनतकता
यु
धवज के रूप में अपनारा गरा और नफर भारतलीर गणतंत्र ने इसे के नसद्धांतों का पालन करना चानहए। पनशच, चरि प्रगनत का प्रतलीक
अपनारा। उसली वकत नतरंगे कली महत्ता को भली संनवधान सभा ने है, जड़ता प्राणहलीनता का प्रतलीक है। चलना हली नजंदगली है। भारत को
यु
नवट्तार से बतारा ्ा। पररवतयान कली अनदेखली नहीं करनली है, अनपत आगे हली बढ़ना है।
न्यू इंडिया समाचार 11