Page 8 - NIS-HINDI 01-15 JUNE 2022
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व्यककततव  रगवान स्वामीनारा्यण




        नजनके बताए रासते पर चल



        रहे हैं करोड़ों अनु्ा्ी





                                         ं
        भारत की पुण् धरा पर िर कालखि में ऐसी मिान हवभयूहत्ा      ं
             ैं
                                                     ये
                     ये
        िुई ि, हजनिोंन न केवल उस सम् सामाहजक चतना का न्ा
                                                 ै
                                                          ये
                                    ये
        ताना-बाना बुना, बकलक लंब सम् तक वकशवक चतना को
        प्रभाहवत भी हक्ा िै। सवामीनारा्ण संप्रदा् के संसथापक
        सवामी  सिजानंद  ऐसी  िी  मिान  हवभयूहत  ि,  दहन्ाभर  में
                                                   ैं
                                                      ु
                              ें
        उनके करोडों भ्त उनि ईशवर का अवतार मान कर  भगवान
        सवामीनारा्ण के नाम स पुकारतये ि...
                                ये
                                          ैं
                      जनम: 3 अरिल 1781, देहतयाग: 1 जून 1830
                               ै
                त्ति प्रदेश के गोणिा नजले के छस्पपरा गांव में 3 अप्रैल 1781   िामानंद ट्वामली से संनरास कली दलीक्ा प्रापत कली औि इसके साथ हली
               (चैत्र शकल 9, नव.संवत 1837) को ब्ाह्मण परिवाि में   सहजानंद ट्वामली के नाम से जाने गए। अपनली मृतरयु से पहले, िामानंद
                     यु
                                यु
         उएक बालक का जनम हआ। माता-नपता ने पराि से बालक        ट्वामली ने उधिव संप्रदार के नेता के रूप में सहजानंद ट्वामली को
        का नाम ्नशराम िखा। कहते हैं नक बालक के हाथ में पद्म औि पैि   उत्तिानधकािली ननरयुकत नकरा। उधिव संप्रदार को तब से ट्वामलीनािारण
        से बज्र, ऊधवयािेखा तथा कमल का नचनह था। इसे देखकि जरोनतनषरों   संप्रदार के रूप में जाना जाने लगा। िामानंद ट्वामली कली मृतरयु के बाद
        ने कहा रह बालक लाखों लोगों के जलीवन को सहली नदशा देगा। बचपन   सहजानंद ट्वामली को ट्वामलीनािारण के रूप में जाना जाने लगा ।
        से जड़ा उनका एक नकट्सा भली प्रनसधि है। कहा जाता है नक नपता   उनहोंने अपने अनयुरानररों को एक नरा मंत्र नदरा, नजसे ट्वामलीनािारण
            यु
        धमयादेव ने एक बाि एक पलेट में सोने का नसकका, एक चाकू औि   मंत्र के रूप में जाना जाता है। उनहोंने ननधयान सेवा को लक्र बनाकि
        श्लीमद् भागवत गलीता कली एक प्रनत िखली। बालक ्नशराम ने गलीता   सब वगथों को अपने साथ जोड़ा। इससे उनकली खरानत सब ओि
        को उसमें से उ्ठा नलरा। पांच वषया कली आरयु में उनहें अक्ि ज्ान नदरा   फैल गरली। वे अपने नशषरों को पांच व्रत लेने को कहते थे। इनमें
        गरा। आ्ठ वषया में जनेऊ संट्काि के बाद बालर काल में हली उनहोंने   मांस, मनदिा, चोिली, वरनभचाि का तराग तथा ट्वधमया के पालन कली
        अनेक शाट्त्रों का अधररन कि नलरा। वह केवल 11 वषया के थे, तब   बात होतली थली। भगवान ट्वानमनािारण जली ने जो ननरम बनारे, वे
        माता-नपता के देहांत के बाद लोगों के कलराण के नलए ्ि छोड़कि   ट्वरं भली उनका क्ठोिता से पालन किते थे। उनहोंने रज् में नहंसा,
        चले गए। अगले सात साल तक उनहोंने पूिे देश का भ्रमण नकरा।   बनलप्रथा, सतलीप्रथा, कनरा हतरा, भूत बाधा जैसली कुिलीनतरों को बंद
        इसके बाद लोग उनहें नलीलकं्ठवणषी कहने लगे।                              किारा। वषया 1822 में अहमदाबाद में पहले
        इस दौिान उनहोंने गोपालरोगली से अषटांग रोग                              ट्वामलीनािारण मंनदि कली ट्थापना कली गई।
        सलीखा। वे उत्ति में नहमालर, दनक्ण में कांचली,   सवामीनारायण संरिदाय ने षसफ्फ   वतयामान में नदललली में अक्िधाम समेत दननरा
                                                                                                           यु
        श्लीिंगम्, िामेशविम् आनद तक गए। इसके बाद   मंषदर ही नहीं बनाए, बशलक    के कई देशों में ट्वामलीनािारण संप्रदार के
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        पंढिपयुि व नानसक होते हए वे गजिात आ गए।   सामाषजक चेतना के अद्भुत केंद्रों की   भवर मंनदि हैं।
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        1799 में, 7 साल कली रात्रा के बाद, एक रोगली   सथापना की है। बेहतरीन कलाकृषत   लनकन  इस  संसाि  का  एक  सतर  है,
                                                                                   े
                                     यु
        के रूप में नलीलकं्ठ कली रात्रा अंततः गजिात   के साथ तकनीक का अद्भुत रियोग   नजसका जनम हआ है उसकली मृतरयु भली ननस्शचत
                                                                                          यु
        के जूनागढ़ नजले के एक गांव लोज में समापत   यहां है तो मानव जाषत के कलयाण   है। वषया 1830 में भगवान ट्वामलीनािारण न  े
         यु
        हई। लोज में, नलीलकं्ठवणषी िामाननद ट्वामली   के साथ षव्व बंधुतव की भावना भी   नशवि शिलीि का तराग कि नदरा पि उनकली
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        के  एक  वरिष्ठ  नशषर  मकताननद  ट्वामली  से    आपको षमलेगी।             सोच औि दली गई नशक्ा का प्रचाि-प्रसाि उनके
                                                                                             ू
        नमले। नलीलकं्ठवणषी ने 20 अकटटूबि 1800 को   -नरेंद्र मोदी, रिधानमंरिी   अनयुरारली आज भली पिे नवशव में कि िहे हैं। n

          6  न्यू इंडि्ा समाचार | 1-15 जन 2022
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