Page 15 - NIS Hindi 01-15 March 2022
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आिि्ण कथा    नािी िक्ि




        ह़ोती है, उतनी ही मलहिाओं की ह़ोती है। ्टेकस्टाइि इंडसट्ी ह़ो या पॉ्टरी,
        ककृलष या दुगध उतपाद से जुड़े उद़्ोग, इनका आधार मलहिाशशकत और
        मलहिा कौशि ही है। जबलक पुरानी स़ोच वािों ने मलहिाओं के कौशि
        क़ो घरेिू कामकाज का ही लवषय मान लिया था। देश की अथतिवयवसथा
        क़ो आगे बढाने के लिए इस पुरानी स़ोच क़ो बदिना जरूरी है। ‘मेक
        इन इंलडया’ आज यही काम कर रहा है। आतमलनभतिर भारत अलभयान
        मलहिाओं की इसी क्मता क़ो देश के लवकास के साथ ज़ोड़ रहा है। इसी
        का पररणाम है लक आज मुद्रा य़ोजना की िगभग 70 प्लतशत िाभाथगी
        मलहिाएं हैं। कऱोड़ों मलहिाओं ने इस य़ोजना की मदद से अपना काम
        शुरू लकया है और दूसरों क़ो भी ऱोजगार दे रही हैं। इसी तरह, मलहिाओं
        में सवयं सहायता समूहों के जररए उद्लमता क़ो बढाने के लिए दीन दयाि
        अंतय़ोदय य़ोजना चिाई जा रही है।  देश की मलहिाओं का उतसाह और
        सामरयति इतना है लक बीते 6-7 सािों में सवयं सहायता समूहों की संखया
        तीन गुना बढ गई है। यही प्गलत भारत के स्टा्ट्डअप ईक़ो-लसस्टम में भी
        देखने क़ो लमि रहा है। वषति 2016 से देश में 56 अिग-अिग सेक्टसति   देशभर में 8,000 से जयादा जि औषहि
        में 60 हजार से जयादा नए स्टा्ट्डअप बने हैं। इनमें से 45 प्लतशत में कम   केंद्रों के माधयम से मात् 1 रुपये में
        से कम एक लनदेशक मलहिा है।
                                                                                                               ैं
                                                                      ै
        समान अिसि से बदली िसिीि                                    सिेटरी िैपहकि उपलबि कराए जा रिे ि।
        सममान और समान अवसर लमिे त़ो मलहिा शशकत का य़ोगदान लकतना
        बड़ा ह़ो सकता है, इसकी झिक लदखने िगी है। ‘बे्टी बचाओ, बे्टी   बेल्टयों का सपना पूरा ह़ो रहा है, अब देश की क़ोई भी बे्टी, राषट्-रक्ा
        पढाओ’ ‘सुकनया समृलद्ध’ जैसी य़ोजनाओं ने लिंगानुपात में क्रांलतकारी   के लिए सेना में जाकर महतवपूणति लजममेदाररयां उठा सकती है, मलहिाओं
        बदिाव  लकया  है।  पहिी  बार  प्लत  एक  हजार  पुरुषों  के  मुकाबिे   का जीवन और कररयर द़ोनों एक साथ चिें, इसके लिए सबसे अलधक
                                                                                      े
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        मलहिाओं की संखया 1020 तक पहुंची है। सकिों से िड़लकयों के ड्ॉप   मातृ अवकाश देने वािे देशों की श्णी में भारत शालमि है। देश के
        आउ्ट की दर कम हुई है, कयोंलक इन अलभयानों से मलहिाएं खुद जुड़ी   ि़ोकतंत्र में भी मलहिाओं की भागीदारी बढ रही है। 2019 के चुनाव में
        हैं। यह भारत की लमट्ी का असर है लक जब नारी कु् ठान िेती है, त़ो   पुरुषों से जयादा मलहिाओं ने मतदान लकया। देश की सरकार में बड़ी बड़ी
        उसकी लदशा नारी ही तय करती है। कम उम्र में शादी बेल्टयों की पढाई   लजममेदाररयां मलहिा मंत्री संभाि रही हैं। ये बदिाव इस बात का सपष्ट
        और कररयर में बाधा न बने, इसके लिए बेल्टयों की शादी की उम्र क़ो   संकेत हैं लक नया भारत कैसा ह़ोगा, लकतना सामरयतिशािी ह़ोगा।
        21 साि करने का प्यास है। ‘बे्टी बचाओ, बे्टी पढाओ’ का शुभारंभ   नए भारत के लवकास चक्र में मलहिाओं की भागीदारी िगातार बढ रही
        करते हुए सात साि पहिे प्धानमंत्री नरेंद्र म़ोदी ने कहा था, “भारत का   है। लप्िे 7 सािों में देश ने इस ओर लवशेष धयान लदया है। प्लतशषठत
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        प्धानमंत्री एक लभक्क बनकर आपसे बेल्टयों की लजंदगी की भीख मांग   पद्म सममान में मलहिाओं की बढती भागीदारी इसका एक और उदाहरण
        रहा है। बेल्टयों क़ो अपने पररवार का गवति मानें, राषट् का सममान मानें।   है। 2015 से िेकर अब तक 185 मलहिाओं क़ो उनके अभूतपूवति कायमों
        आप देलखए इस असंतुिन से हम बहुत तेजी से बाहर आ सकते हैं। बे्टा   के लिए पद्म सममान लदया गया है। इस वषति भी 34 पद्म पुरसकार अिग-
        और बे्टी द़ोनों व़ो पंख है लजसके लबना जीवन की ऊंचाईयों क़ो पाने की   अिग क्ेत्रों में काम कर रही मलहिाओं क़ो लमिे हैं। ये अपने आप में एक
        क़ोई संभावना नहीं है। इसलिए ऊंची उड़ान भरनी है त़ो सपनों क़ो बे्टे   ररकॉड्ड है। आज तक कभी इतनी जयादा मलहिाओं क़ो पद्म सममान नहीं
        और बे्टी द़ोनों पंख चालहए तभी त़ो सपने पूरे होंगे।” अमृत मह़ोतसव   लमिा है। इसी तरह, आज खेिों में भी भारत की बेल्टयां दुलनया में कमाि
                                                                           ं
        वषति में आई राषट्ीय पररवार सवासरय सवचेक्ण ररप़ो्ट्ड में लिंगानुपात में   कर रही हैं और ओिलपक तक में देश के लिए मेडि जीत रही हैं। क़ोलवड
        ऐलतहालसक पररवततिन (1000 पुरुषों के मुकाबिे 1020 मलहिाएं) उस   महामारी के लखिाफ इतनी बड़ी िड़ाई पूरे देश ने िड़ी, इसमें भी नसचेस,
        संकरप क़ो साकार ह़ोने का जीता जागता प्माण है। अमृत मह़ोतसव वषति   डॉक्टसति और मलहिा वैज्ालनकों ने बड़ी भूलमका लनभाई है। मलहिा सबसे
        में आज देश िाखों सवाधीनता सेनालनयों के साथ आजादी की िड़ाई में   अच्ी लशक्क और प्लशक्क भी ह़ोती हैं।
        नारीशशकत के महतवपूणति य़ोगदान क़ो याद करते हुए उनके सपनों क़ो पूरा   नािी सुिक्ा: कानूनी किर
                                              कू
        करने का प्यास कर रहा है। इसीलिए, आज सैलनक सकिों में पढने का   2014 में केंद्र में नई सरकार बनने के बाद से राषट्ीय सतर पर मलहिा
                                                             सुरक्ा से जुड़े अनेकों प्यास लकए गए। आज देश में मलहिाओं के




                                                                                    न्यू इडिया समाचार | 1-15 माच्च 2022  13
                                                                                      ं
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