Page 12 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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आवरर कथा शवकास और शवरासत
मोदली इस बािे में कहते हैं, “आजादली के इतने वषषों के बाद,
आनखिकाि मुझे रह करों कहना पड़ा? करा जरूित पड़ली
रह कहने कली। ऐसा इसनलए करोंनक हमािे देश को गुलामली
कली माननसकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है नक प्रगनत का हि कार या
कुछ लोगों को अपिाध कली तिह लगता है। रहां तो गुलामली
के तिाजू से प्रगनत के काम को तोला जाता है। इसनलए लंबे
समर तक हमािे रहां, अपने आस्ा स्लों के नवकास को
लेकि एक नफित का भाव िहा। नवदेशों में वहां कली संसकृनत
से जुड़े स्ानों कली रह लोग तािलीफ किते-किते नहीं ्कते।
भारि एक राष्ट् होने क सार ही
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एक महान परंपरा ह, एक िैचाहरक
अतधष्ान ह, एक संस्ार की सहरिा
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ह। भारि िो शीष्म तचंिन ह- जो
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'िसधैि कट दुंबकम्' की बाि करिा
दु
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ह। भारि दूसरे क नकसान की
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कीमि पर अपने उत्ान क सपने
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नहीं दखिा। भारि अपने सार
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सम्ूण्म मानििा क, पूरी ददुलनया
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क कल्ाण की कामना करिा ह।
इसीललए, कनाडा या वकसी भी और
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दश में जब भारिीय संस्ति क ललए
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समवपपिि कोई सनािन मंददर खड़ा
होिा ह, िो िो उस दश क मूल्ों को
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भी समृद्ध करिा ह।
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– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्ी
लेनकन भाित में इस प्रकाि के काम को हेर दृशषट से देखा ला नदरा ्ा। सैकड़ों वषषों से मौसम कली माि सहते आ िहे
जाता ्ा। इसकली वजह एक हली ्ली- अपनली संसकृनत को पत्ि, पूजा स्ल जाने के मागया, दशकों तक आधराशतमक
लेकि हलीन भावना, अपने आस्ा स्लों पि अनवशवास, केंद्ों कली शस्नत ऐसली िहली नक वहां कली रात्रा जलीवन कली सबसे
अपनली नविासत से नवद्ष। रह हमािे समाज में आज बढ़ा कन्ठन रात्रा बन जातली ्ली।
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हो, ऐसा नहीं है। आजादली के बाद सोमना् मंनदि के ननमायाण शवकास के नए अवसर, नई पहचान
के समर करा हुआ ्ा, वो हम सब जानते हैं। इसके बाद आस्ा के रह केंद् नसफ्क एक ढांचा नहीं बशलक भाित के
िाम मंनदि के ननमायाण के समर के इनतहास से भली हम भलली- नलए प्राण शशकत है, प्राण वारु कली तिह हैं। वह हमािे नलए
भांनत परिनचत हैं।” दिअसल, गुलामली कली माननसकता ने ऐसे शशकतपुंज हैं जो कन्ठन से कन्ठन परिशस्नतरों में भली हमें
हमािे पूजनलीर पनवत्र आस्ा स्लों को जजयाि शस्नत में जलीवंत बनाए िखते हैं। इसली सोच के सा् बलीते कुछ वषषों में
10 न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जनवरी 2023