Page 13 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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आवरर कथा     शवकास और शवरासत




            एक दलीघयाकानलक दृशषटकोण के सा् पुनिोद्धाि कली पहल
                                               ै
            हुई है। इसली का परिणाम है नक काशली, उज्न, अरोधरा         राष्ट्ीय एकिा हो या वफर नागहरक
            अननगनत ऐसे श्द्धा के केंद् अपने गौिव को पुन: प्रापत कि    कि्मव्य बोध, इसमें भी हमारी यह
            िहे हैं। केदािना्, बद्लीना्, हेमकुंि सानहब कली श्द्धा को   सांस्तिक विरासि कड़ी का काम
                                                                            ृ
            भली संभालते हुए आधुननकता के सा् सुनवधाओं से जोड़ा जा     करिी ह। यही िो मजबूि कड़ी ह, जो
                                                                                                          ै
                                                                              ै
            िहा है। अरोधरा में भवर िाम मंनदि बन िहा है। गुजिात के
                                                                     े
            पावागढ़ में मां कानलका के मंनदि से लेकि देवली नवंधरांचल   दश को ही नहीं, बल्कि पूरी ददुलनया को
            के  कॉरििोि  तक,  भाित  अपने  सांसकृनतक  उत्ान  का              भी भारि से जोड़िी ह।
                                                                                                     ै
            आह्ान  कि  िहा  है।  आस्ा  के  इन  केंद्ों  तक  पहुंचना        – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्ी

            अब हि श्द्धालु के नलए सुगम औि सिल हो िहा है। जो
            वरवस्ाएं नवकनसत हो िहली हैं वह बड़े- बुजुगषों के नलए तो
            सुनवधाजनक है, नई पलीढ़ली के नलए भली श्द्धा औि आकषयाण
            का केंद् बन िहे हैं। आज पूिा देश अपने आधराशतमक केंद्ों
            को लेकि गवया के भाव से भि गरा है। अगि केदािना् धाम
            का हली उदाहिण लें तो जहां एक सलीजन में जरादा से जरादा
            5 लाख श्द्धालु आरा किते ्े, बलीते वषया में रह संखरा 50

            लाख के पाि पहुंच गई। आधरातम से जुड़े स्लों के नवकास
            व पुनननयामायाण का एक पक् रह भली है नक स्ानलीर लोगों
            को िोजगाि-वरवसार का अवसि नमलता है औि जलीवन में
            सुगमता आतली है।
               जब पहाड़ पि िेल, िोि, िोपवे कनेकट होते हैं तो रह
            पहाड़ के जलीवन को सहज, सुगम औि शानदाि बना देते हैं।
            रह सुनवधाएं पहाड़ों पि परटन के सा्-सा् परिवहन को
                                 या
            भली आसान कितली हैं।
               ननशशचत  रूप  से  अतलीत  के  गौिव  के  सा्  भनवषर  का

            सवागत किने को तैराि है भाित करोंनक जब िाषट्र ननमायाण का
            संकलप औि नागरिकों में देश के नलए सेवा भाव होता है, तभली
            िाषट्र नवकास कली असलीम ऊंचाइरों को छूता है। एक समर ्ा,
            जब संसकृनत औि सभरता के बािे में बात किने तक से बचा
            जाता ्ा। इसली देश में िाम के अशसततव पि प्रश्ननचन्ह लगाए
            जाते ्े। उसका परिणाम करा हुआ? धानमयाक, सांसकृनतक
            स्ान औि नगि पलीछे छूटते चले गए। नजन स्ानों को हम

            अपनली पहचान का, अपने अशसततव का प्रतलीक मानते ्े, जब
                                                                                                     रै
            वहली बदहाल ्े, तो देश के उत्ान का मनोबल अपने आप           को पुनजजीनवत नकरा है। एक समग्र प्ररास कसे समग्र नवकास
            टूट जाता ्ा। लेनकन बलीते आ्ठ वषषों में देश ने हलीनभावना   का जरिरा बन जाता है, आज देश इसका साक्ली है। िामारण,
            कली इन बेनड़रों को तोड़ा है। प्रधानमंत्रली निद् मोदली के नेतृतव   सूफली, तली्थंकि, बौद्ध सनक्कट जैसली पहल सांसकृनतक वैभव को
                                           ें
            वालली सिकाि ने भाित के सभली धमषों के तली्षों के नवकास कली   गौिवशालली बना िहे है करोंनक दुननरा पि धाक जमा िहे भाित
            एक समग्र सोच को सामने िखा है। िाम मंनदि औि काशली          कली संसकृनत औि संसकाि, सेवा, सुशासन औि गिलीब कलराण
            नवशवना्  धाम  से  लेकि  केदािना्  औि  महाकाल-लोक          के सा् नवकनसत भाित के सुनहिे सपने को समनपयात है।
            तक, घनघोि उपेक्ा के नशकाि आस्ा के स्ानों के गौिव




                                                                                     न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 जनवरी 2023  11
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