Page 46 - NIS Hindi 01-15 July 2022
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राष्ट्र अमृि महोतसि
आवखरी सयांस तक
अमरेंद्र नयाथ च्टर्जी कया नयाम
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भयारती् सितंत्तया संग्याम के उन दश की सचेिया करन
्ोद्याओं में शयावमि ्है र्ो भयारत को ियािी सितंत्तया सनयानी
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कयांवत के दम पर अंग्चेर्ों की गुियामी
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स मुककत वदियानया चया्हत थ। थी सुशीिया चैन त्चे्हन
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जनम : 1 जुलाई 1923, मृतरु : 28 नसतंबि 2011
ित के ट्वतंत्रता कली लड़ाई में अनर मनहलाओं के साथ बढ़-चढ़ कि
घाट उतािने के काम में भली शानमल था। इस संग्ठन के भाभाग लेने औि पुनलस कली रातनाओं का सामना किने वालली सुशलीला
सनक्र सदट्र उन भाितलीर अनधकारिरों को मािने में भली चैन त्रेहन ने न नसफ्फ नरिनटश सिकाि के नखलाफ लड़ाई लड़ली, बस्लक पंजाब
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नहीं चूकते थे, नजनहें वे अंग्जों का नपट्ठू रा देश का गद्ाि के गांव में जा कि लिनकरों को नशनक्त किने कली नहममत भली नदखाई। साथ
समझते थे। पस्शचम बंगाल में हुगलली के उत्तिपाड़ा में 1 हली सुशलीला चैन त्रेहन ने अपने जलीवन का हि एक क्ण समाज कली भलाई के
जुलाई 1880 को अमिद् नाथ चटजती का जनम उपेंद् नाथ नलए समनपयात कि नदरा। पंजाब के प्ठानकोट में 1 जुलाई 1923 को जनमली
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चटजती के घि में हुआ था। शुरुआत में उनहोंने क्ांनतकािली सुशलीला अपने चाि भाई बहनों में सबसे छोटली थली। इनके नपताजली, मथुिा दास
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गनतनवनधरों में जतींद्नाथ मुखजती का साथ नदरा। बाद में त्रेहन पेशे से ्ठेकेदाि थे औि प्ठानकोट में कांग्स पाटती के संट्थापकों में से
या
1907 में उनकली मुलाकात अिनबंदो घोष से हुई औि वह एक थे। साथ हली, वे आर समाज के एक प्रमुख सदट्र भली थे। अभली सुशलीला
आजादली के संकलपों के नलए तैराि हो हली िहली थली नक उसली दौिान उनके
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देश को अंग्जों कली गुलामली से आजाद किाने के नलए पूिली नपताजली कली िहट्रमरली परिस्ट्थनतरों में मृतरु हो गई। इस दौिान सुशलीला के
तिह समनपयात हो गए। माना जाता है नक अिनवंदो ने हली हाथ एक ऐसली नकताब लगली नजसे पढ़ कि उनके अंदि भाित को ट्वतंत्रता
उनहें क्ांनतकारिरों कली मदद में धन एकत्र किने के नलए नदलाने कली भूख बढ़ गरली। साथ हली, सुशलीला ने भगत नसंह कली वलीिता से भिली
प्रोतसानहत नकरा था। कहा जाता है नक वह 1915 में 5 कहाननरां भली सुन िखली थली। ऐसे में वह उनसे भली काफली प्रभानवत थली। इसली
साल के नलए भूनमगत हो गए थे औि भेष बदल कि एक दौिान, उनकली मुलाकात शकुंलता आजाद नाम कली एक मनहला से हुई औि
ट्थान से दूसिे ट्थान पि आते-जाते िहे। अंग्जों ने उनके मात्र 18 साल के उम्र में हली सुशलीला चैन त्रेहन ने अपना घि छोड़ नदरा।
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नसि पि 10,000 रुपरे का इनाम भली घोनषत कि िखा इसके बाद उनहोंने अपना जलीवन भाित कली आजादली के नलए समनपयात कि
था। बंगाल कली पहलली मनहला िाजनलीनतक बंदली ननलीबाला नदरा। वह भूनमगत िह कि आजादली के नलए िणनलीनत बनातली औि पकड़े जाने
पि पुनलस कली जरादनतरों को भली सहतली। हालांनक, उनहोंने पूिली तिह से भाित
देवली भली अमिेंद् नाथ चटजती के हली दूि कली रिशतेदाि थीं कली ट्वतंत्रता के नलए लड़ने का मन बना नलरा था औि ऐसे में नकसली भली तिह
औि उनहीं से प्रेरित होकि वह क्ांनतकािली गनतनवनधरों में का नविोध उनके दृढ़ ननशचर को तोड़ नहीं पारा। मनहलाओं को आतमननभयाि
सनक्रता से जुड़ गईं थीं। उनहोंने चंदन नगि में नकिाए का बनाने के नलए वह साइनकल पि लंबा सफि कि दूि-दिाज के गांवों में भली
मकान लेकि अमिेंद् नाथ चटजती के साथ-साथ रुगांति जातली औि नशक्ा का अलख जगातली। साथ हली वह वहां पि मनहलाओं को
के मुखर क्ांनतकारिरों जादू गोपाल मुखजती, नशव भूषण आतमननभयाि बनाने के गुण नसखातली थीं। उस समर लड़नकरों का साइनकल
दत्त आनद को शिण दली थली। 1923 में अमिद् नाथ चटजती चलाना अचछा नहीं माना जाता था। इसके कािण गांव औि समाज के लोग
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कुछ नदनों के नलए जेल में भली िहे। भाित कली आजादली के उनहें हतोतसानहत किते। हालांनक, वह हाि मानने वालली में से नहीं थली औि
वह लगाताि िटली िहली। आजादली के बाद भली उनहोंने नशक्ा को बढ़ावा देना
बाद भली वह सनक्र बने िहे औि 4 नसतंबि 1957 को जािली िखा। उनहोंने लड़नकरों के नलए तलीन ट्ककूल औि एक सह-नशक्ा ट्ककूल
77 साल कली उम्र में उनका पस्शचम बंगाल में ननधन हो खोला। उनहें पता था नक देश को औपननवेनशक आजादली के बाद सामानजक
गरा। अमिेंद् नाथ चटजती कली एक प्रनतमा उनके गृह नगि कुरिनतरों से भली आजाद होना जरूिली है। रहली कािण है नक वह आजादली के
उत्तिपाड़ा कली मुखर सड़क पि लगाई गई है। बाद भली रूकली नहीं औि अपनली मृतरु तक वह लगाताि समाज कली भलाई के
नलए काम कितली िहली। n
44 न्यू इंनि्ा समाचार 1-15 जुलाई 2022