Page 49 - NIS Hindi 01-15 July 2022
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राष्ट्र प्रधनामंत्री का बलॉग
वैस्शवक महामािली का प्रभाव तब बहुत वषषों तक िहा था।
उसली महामािली ने मेिली नानली को भली मेिली मां से छलीन
नलरा था। मां तब कुछ हली नदनों कली िहली होंगली। उनहें
मेिली नानली का चेहिा, उनकली गोद कुछ भली राद नहीं है।
आप सोनचए, मेिली मां का बचपन मां के नबना हली बलीता,
वो अपनली मां से नजद नहीं कि पाईं, उनके आंचल में नसि
नहीं नछपा पाईं। मां को अक्ि ज्ञान भली नसलीब नहीं हुआ,
उनहोंने ट्ककूल का दिवाजा भली नहीं देखा। उनहोंने देखली तो
नसफ्फ गिलीबली औि घि में हि तिफ अभाव।
हम आज के समर में इन स्ट्थनतरों को जोड़कि देखें
तो कलपना कि सकते हैं नक मेिली मां का बचपन नकतनली
मुस्शकलों भिा था। शारद ईशवि ने उनके जलीवन को इसली
प्रकाि से गढ़ने कली सोचली थली। आज उन परिस्ट्थनतरों के
बािे में मां सोचतली हैं, तो कहतली हैं नक रे ईशवि कली हली
इचछा िहली होगली। लेनकन अपनली मां को खोने का, उनका
चेहिा तक ना देख पाने का ददया उनहें आज भली है।
बचपन के संघषषों ने मेिली मां को उम्र से बहुत पहले
बड़ा कि नदरा था। वो अपने परिवाि में सबसे बड़ली थीं
औि जब शादली हुई तो भली सबसे बड़ली बहू बनीं। बचपन
में नजस तिह वो अपने घि में सभली कली नचंता कितली थीं,
सभली का धरान िखतली थीं, सािे कामकाज कली नजममेदािली मां की िपस्ा, उसकी संिान
उ्ठातली थीं, वैसे हली नजममेदारिरां उनहें ससुिाल में उ्ठानली को, सहरी इसान बनािरी ह। मां
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पड़ीं। इन नजममेदारिरों के बलीच, इन पिेशाननरों के बलीच,
मां हमेशा शांत मन से, हि स्ट्थनत में परिवाि को संभाले की ममिा, उसकी संिान को
िहीं। मानिरीय संिेदनाओ ं से भरिरी ह।
ै
विनगि के नजस घि में हम लोग िहा किते थे वो
बहुत हली छोटा था। उस घि में कोई नखड़कली नहीं थली, बलीच भली उनहोंने घि में कभली तनाव को हावली नहीं होने नदरा।
कोई बाथरूम नहीं था, कोई शौचालर नहीं था। कुल दोनों ने हली अपनली-अपनली नजममेदारिरां साझा कली हुईं थीं।
नमलाकि नमट्ली कली दलीवािों औि खपिैल कली छत से बना कोई भली मौसम हो, गमती हो, बारिश हो, नपताजली
े
वो एक-िढ़ कमिे का ढांचा हली हमािा घि था, उसली में चाि बजे भोि में घि से ननकल जारा किते थे। आसपास
मां-नपताजली, हम सब भाई-बहन िहा किते थे। के लोग नपताजली के कदमों कली आवाज से जान जाते थे नक
उस छोटे से घि में मां को खाना बनाने में कुछ 4 बज गए हैं, दामोदि काका जा िहे हैं। घि से ननकलकि
सहूनलरत िहे इसनलए नपताजली ने घि में बांस कली फट्ली मंनदि जाना, प्रभु दशयान किना औि नफि चार कली दुकान पि
औि लकड़ली के पटिों कली मदद से एक मचान जैसली पहुंच जाना उनका ननतर कमया िहता था।
बनवा दली थली। वहली मचान हमािे घि कली िसोई थली। मां मां भली समर कली उतनली हली पाबंद थीं। उनहें भली सुबह
उसली पि चढ़कि खाना बनारा कितली थीं औि हम लोग 4 बजे उ्ठने कली आदत थली। सुबह-सुबह हली वो बहुत
उसली पि बै्ठकि खाना खारा किते थे। सािे काम ननपटा नलरा कितली थीं। गेहूं पलीसना हो, बाजिा
सामानर रूप से जहां अभाव िहता है, वहां तनाव भली पलीसना हो, चावल रा दाल बलीनना हो, सािे काम वो खुद
िहता है। मेिे माता-नपता कली नवशेषता िहली नक अभाव के कितली थीं। काम किते हुए मां अपने कुछ पसंदलीदा भजन रा
न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जुलाई 2022 47