Page 21 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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लोकतंत्र की जननी भारेत
का अनमोल सामर्थ ्त
अंग्ज कहकर गए थे हमञारे जञाने क बञाि िि तुम्ञारञा कबखर
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जञाएगञा, नहीं सोचञा थञा उन्हयोंने कक भञारत कवश्व क सबसे
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कविञाल लोकतंत्र क रूप में ननखर जञाएगञा। लककन सबकञा
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प्र्ञास बन गर्ञा भञारत कञा अनमोल सञामर्थ...
आंतकवाद िे डगर-डगर चुिौसतयां
पैदा कीं, सिदवोर् िागररकों को मौत n आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो
के घा्ट उतार सदया गया। ्छद्म युद्ध कपछले 75 साल में देि के कलए जीने मरने वाले, देि की
चलते रहे, प्राकृसतक आपदाएं आती सुरक्षा करने वाले, देि के संक्कपों को पूरा करने वाले;
चाहे सेना के जवान हों, पुकलस के कमशी हों, िासन में बैठे
रहीं, िफलता-सवफलता, आशा- हुए ब्यूरोरिेट्स हों, जनप्रकतकनकध हों, स्थानीय स्वराज की
सिराशा, ि जािे सकतिे पड़ाव आए संस्थाओं के िासक-प्रिासक रहे हों, राज्यों के िासक-
हैं। लेसकि इि पड़ाव के बीच भी प्रिासक रहे हों, केंद्र के िासक-प्रिासक रहे हों... 75
भारत आगे बिता रहा है। साल में इन सबके योगदान को भी आज स्मरण करने का
अवसर है। यह अवसर उन कोकट-कोकट नागररकों को भी
नमन करने का है, कजन्होंने 75 साल में अनेक प्रकार की
ककठनाइयों के बीच भी देि को आगे बढ़ाने के कलए अपने से
जो हो सका, वो करने का प्रयास ककया है।
n सालों के गुलामी के कालखंड ने भारत के मन को, भारतीया
हम उन जंगलों में जीने िाल े की भावनाओं को गहरे घाव कदए थे, गहरी चोटें पहुंचाई थीं,
हमारे आकदिासी समाज िा भी लेककन उसके भीतर एक कजद भी थी, एक कजजीकवषा भी
गरौरिगान िरना नहीं भूल सित े थी, एक जुनून भी था, एक जोि भी था। और उसके कारण
अभावों के बीच में भी, उपहास के बीच में भी और जब
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हैं। भगिान कबरसा मंडा, कसद्धू- आजादी की जंग अंकतम चरण में थी तो देि को डराने के
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िान्ह, अल्लरी सीताराम राजू, कलए, कनराि करने के कलए, हताि करने के कलए सारे उपाय
गोकिंद गुरू, एेसे अनकगनत नाम हैं, ककए गए थे।
कजन्होंने आजादी िे आंदोलन िी
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आिाज बनिर दूर-सुदूर जंगलों n कहते थे अगर अंग्ज चले जाएंगे तो देि टूट जाएगा, कबखर
जाएगा, लोग अंदर-अंदर लड़ कर मर जाएंगे, कुछ नहीं
में भी मातृभकम िे कलए जीने-मरन े बचेगा, अंधकार युग में भारत चला जाएगा, न जाने क्या- क्या
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िी प्रणा जगाई। आिंकाएं व्यक्त की गई थीं। लेककन उनको पता नहीं था ये
–िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी कहंदुस्तान की कमट्ी है, इस कमट्ी में वो सामर्यया है, जो िासकों
से भी परे सामर्यया का एक अंतरप्रभाव लेकर जीता रहा है,
सकदयों तक जीता रहा है।
न््ययू इंडि्या समाचार 1-15 डसतंबर 2022 19

