Page 22 - NIS Hindi september 01-15, 2022
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भारेत का जनमन


         आकांक्क्त जनमन


                                                 ं
                                ै
        भञारत कञा समञाज जञागृत ह और अपनी आकञाक्षञाओं को
        पूरञा करने क नलए तत्पर भी। वह चुनौकतर्यों से जूझनञा भी
                    े
        जञानतञा ह और नए समञाधञान िनञा भी। अमृत कञाल की सुबह
                 ै
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        आकञाक्षी समञाज क नलए सुनहरञा अवसर लकर आई ह...
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          · मैं आज देि का सबसे बड़ा सौभाग्य ये देख रहा हूं कक
        n
          भारत का जनमन आकांकक्षत जनमन है। आकांक्षी समाज
          ककसी भी देि की बहुत बड़ी अमानत होती है। और हमें
          गवया है कक आज कहंदुस्तान के हर कोने में, हर समाज के

          हर वगया में, हर तबके में, आकांक्षाएं उफान पर हैं।

          ·देि का हर नागररक चीजें बदलना चाहता है, बदलते
        n
          देखना चाहता है, लेककन इंतजार करने को तैयार नहीं है,
          अपनी आंखों के सामने देखना चाहता है, कतयाव्य से जुड़
          कर करना चाहता है। वो गकत चाहता है, प्रगकत चाहता
          है। 75 साल में संजोए हुए सारे सपने अपनी ही आंखों के
          सामने पूरा करने के कलए वो लालाकयत है, उत्साकहत है,

          उतावला भी है।                                           अब जब राजनीकति क्स्थरता हो,
                                                                  नीकतयों में गकतशीलता हो, कनणमायों
          ·जब समाज आकांक्षी होता है तब सरकारों को भी तलवार
        n                                                         में तेजी हो, सिमाव्यापिता हो,
          की धार पर चलना पड़ता है। सरकारों को भी समय के            सिमासमािेकशता हो, तो कििास
          साथ दौड़ना पड़ता है और मुझे कवश्वास है चाहे केंद्र        िे कलए हर िोई भागीदार बनता है।
          सरकार हो, राज्य सरकार हो, स्थानीय स्वराज्य की           सबिा साथ, सबिा कििास िा मंत्र
                                                                     े
          संस्थाएं हों, ककसी भी प्रकार की िासन व्यवस्था क्यों न हो,   लिर हम चले थे, लेकिन देखते ही
          हर ककसी को इस आकांक्षी समाज की पूकतया करनी होगी।        देखते देशिाकसयों ने सबिा किश्िास
          उनकी आकांक्षाओं के कलए हम ज्यादा इंतजार नहीं कर         और सबिे प्यास से उसमें और रंग

          सकते। इसकलए ये अमृत काल का पहला प्रभात उस               भर कदए हैं।
          आकांक्षी समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के कलए
          बहुत बड़ा सुनहरा अवसर लेकर आई है।                        –िरेंद्र मोदी, प्रधािमंत्ी






          20  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 डसतंबर 2022
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