Page 13 - NIS Hindi February 01-15,2023
P. 13

आ्रण कथवा      पोषक अनवाज: अग्णी भवारत




                                                                              ै
                          मोटा अिाज शर्रीर को यंू बिाता ह मजबूत

            हृदय को ््व्थ रिने में मदद करतिा है।
             मधुमेह पीकड़ति लोगों के कलए उपयुकति                                  शरीर की कोकशकाओं को िराब
                 िाद्य पदाथ्ण है। रकति में शक्करा के                              होने से बचातिा है। कोलन कैंसर और
                  अकनयंकत्ति बढ़ा्वे को रोकतिा है।                                 हृदय संबंधी बीमारी के ितिरे को कम
                                                                                  करतिा है।

            प्रचुर मात्ा में
            आयरन पाया
         जातिा है, कलहाजा                         कुटकी           ज्वार                        क्वटाकमन ई की
            शरीर में िून                                                                       प्रचुरतिा, शरीर के
        बढ़ाने में उपयोगी।                                                                      कटशयू (ऊतिक)
                                       सां्वा                              पल्ण                को चोकटल होने से
                                                  सभ्री ममलेटस ग्टि फ्ी                        बचातिा है।
                                                             ू
                                                              े
                                                    ैं
                                                 होते ह। स्रीललएक ब्रीमार्री से
                                                 प्रीरड़त मर्रीजों को चिरकत्सक
                                         कोदो     ववशेष तौर पर खािे की
              तिकत्का                                सलाह दते ह। ैं    रागी
               ं
                                                           े
           प्रणाली को
         मजबूति करने
          में सहायक।                               चैना                                   हकडियों के क्वकास और
                                                                                          शरीर में रकति की कमी को
                                                                                          दूर करने में सहायक।
                                                           कंगनी या टांगुन
             अ्वसाद और कनम्न रकतिचाप
           को कनयंकत्ति करतिा है। शरीर को                             कंगनी या टांगुन- पया्णपति मात्ा में कैसलशयम,
           नुकसान पहुंचाने ्वाले अ्वय्वों                             हकडियों को मजबूति करतिा है और ऑस्टयोपोरोकसस
                      को भी रोकतिा है।                                बीमारी से बचा्व में भी सहायक।

                कया है मोटा अिाज                                  कई बाि समर ननकलिा जािा है औि आधुननकिा के नाम


                                                                  पि, वरसििा के कािण हम अच्ली चलीजों को शनैः शनैः भूलिे
             मोटे अनाज आमिौि से ्ोटे दाने वालली फसल के वगया       जािे हैं औि प्रगनि के नाम पि बहुि-सािली दूसिली चलीजों को
             में आिे हैं। उनहें प्रार: पोषक अनाज रा कम पानली वाले   अपने  जलीवन  में  अपनािे  जािे  है।  प्रगनि  िो  आव्रक  है
             अनाज भली कहिे हैं। इनमें जवाि, बाजिा, िागली, कुटकली,   लेनकन प्रकृनि के साथ अगि प्रगनि का सामंजसर िहे िो रह

             काकुन, चलीना, सांवा, कोदो औि अनर मोटे अनाज           मानव जलीवन व देश के नलए जरादा अच्ा होिा है। आज
             शानमल हैं।                                           बहुि-सािली चलीजों को ढूंढिे हैं औि महंगे दामों पि भली खिलीदिे
             मोटा अनाज ननरनमि खुिाक वालली फसल है, जो शुषक         हैं। उनमें कई ऐसली हैं, नजनके बलीज कोई संजोकि नहीं िखिा
             भूनम में उगिली है। रह कम पानली वाले इलाकों में पैदा होिली   रा नजनहें नकसान बोिे भली नहीं है लेनकन आज भली प्राकृनिक रूप
             है। भािि में मोटे अनाज नवशेषकि उन िाजरों में पैदा    से, मौसम के अनुसाि वह पैदा होिली है। नजन लोगों को उनकली
             होिे हैं, जहां कम से मधरम सिि कली वषाया (200-800     गुणवत्ा मालूम हो गई, वह उनहें उपरोग कििे हैं। ई्वि ने
             एमएम) होिली है।                                      भली संिुलन का धरान िखा है। सोचने वालली बाि है नक कोनवि
             मोटे अनाज का उपरोग भोजन, चािे, जैव ईंधन औि           कोई पहलली महामािली नहीं थली, रह ननस्चि रूप से आनखिली
             शिाब बनाने में होिा है। इसनलए मोटे अनाजों को समाट्ट   महामािली भली नहीं होगली। अगि भनवषर में महामारिरां होिली हैं िो

             फूि कहा जािा है, करोंनक रह उपभोकिाओं, नकसानों,       रह महामािली औि भली बुिली हो सकिली है, ऐसे में महामारिरों के
             औि धििली के नलए भली बेहिि हैं।



                                                                                 न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 फरवरी 2023  11 11
   8   9   10   11   12   13   14   15   16   17   18