Page 19 - NIS Hindi 01-15 July,2023
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आवीरण क्था जीए्सटी के 6 वीर् ्ज





               व््यवसाब्य्यों के बलए फा्यदे                               सरकार के बलए फा्यदे


          पहोले कुल र््मलाकर 17 तरहो के टैक्स र्े। इसर्लए र्कसी भी   n  र्सस्ट्म ऑनलाइन होोने से कालाबाजारी पर रोक लगी होै। अगर
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          कारोबारी को 17 इंस्पेक्टर, 17 ररटनमि और 17 एसेस्मेंट से   र्कसी कारोबारी की कुल कर योग्य, गैर कर योग्य और छूट प्ाप्त
          जूझना पड़ता र्ा। इसके अलावा टैक्स की दरें ऊंची र्ीं। वैट और   आय कुल र््मलाकर 50 लाख रुपये सालाना से अर्िक बैठती होै तो
                                                                                   े
          केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की सा्मान्य दरें क््मशः 14.5% और 12.5%   GSTN ्में ऑनलाइन रर्जस्ट्शन करवाना अर्नवायमि होै। पूववोत्तर
          र्ीं। इतना होी नहोीं, इन पर सीएसटी भी लगता र्ा और अंततः   भारत के राज्यों के व्यापाररयों के र्लए आय की यहो सी्मा 20 लाख
          टैक्स दर अर्िकतर वस्तुओं पर 31 प्र्तशत तक पहोुंच जाती र्ी।   रुपये होै। होालांर्क इस सी्मा को बढाने की छूट भी राज्य सरकारों के
                                   ु
          इंस्पेक्टर राज और चुंगी वसूली से ्मश्क्त र््मली होै।  पास होै।
          सारे दस्तावेज ऑनलाइन होोते होैं। इससे, त्थ्यों को तोड़-्मरोड़कर   n  पहोले करदाता के पास दो होी र्वकल्प र्े, या तो वहो ऊंची दरों पर
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          पेश नहोीं र्कया जा सकता। र्कसी तरहो की गलती होोने पर या   टैक्स दे या र्फर उसकी चोरी करे। उस स्मय टैक्स की चोरी बड़े
          दस्तावेज खो जाने पर उसे ऑनलाइन होी सुिारा जा सकता होै।   पै्माने पर होोती र्ी। जीएसटी की प्र्क्या के चलते होर व्यापारी के
                                                                    े
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          व्यापारी को वेबजहो सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने से ्मश्क्त   रर्जस्ट्शन से टैक्स चेन ्में ऐसे व्यापारी भी जुड़ गए होैं, जो पहोले
          र््मली होै।                                          छूट जाते र्े। इससे राजस्व ्में बढ़ोतरी होुई होै।
          टैक्स क्म होोने से कंपर्नयां ज्यादा सस्ता और प्र्तयोगी ्माल   n  ऑनलाइन र्सस्ट्म ्में जीएसटी ररटनमि भरते वक्त होर चरण पर
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          बना रहोी होैं। भारतीय ्माल अंतरराष्ट्ीय बाजार ्में प्र्तस्पिामि   रसीदों का र््मलान होोता होै। तभी पहोले चरण ्में ज्मा र्कए गए टैक्स
          दे रहोे होैं, क्योंर्क टैक्स के ्मकड़जाल से ्मश्क्त के चलते अब   क्ेर्डट का फायदा कारोबारी को र््मल पाता होै, इससे टैक्स चोरी की
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          व्यापार करना आसान होुआ होै।                          संभावना पर लगा्म लगी होै।
          व्यवसार्ययों को ्महोीने भर की र्बक्ी का स्टेट्मेंट GSTR1 के   n  एक होी वस्तु की अलग-अलग राज्यों ्में अलग-अलग दर होोने से
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          रूप ्में अगले ्महोीने की 11 तारीख तक दार्खल करना होोता   कुछ लोग इनकी तस्करी करते र्े। अब पूरे देश ्में स्मान दर होोने
          होै। होालांर्क, 1.5 करोड रुपये से क्म सालाना र्बक्ी वाले   से इसकी संभावना खत््म होो गई होै।
          कारोबाररयों को यहो ररटनमि होर ्महोीने नहोीं भरना पडता। वे होर   n  जीएसटी से राज्यों को राजस्व का नुकसान न होो इसके र्लए 5
          र्त्माहोी ्में यहो ररटनमि दार्खल कर सकते होैं। इसके अलावा वषमि   साल की अवर्ि के र्लए षिर्तपूर्तमि उपकर या जीएसटी उपकर लागू
                                                                                       रू
          के अंत ्में एक सालाना ररटनमि भरना होोता होै। यहो पूरी प्र्क्या   र्कया गया होै | पान ्मसाला, तंबाक या इससे बने उत्पाद, कोयला,
          ऑनलाइन होै।                                          ्मोटरकार जीएसटी उपकर के अिीन रखे गए होैं।




        की कीमत ऊपर जाने न पाए। इससे कीमतें बढ़ने से रुक गोईं।
        आम आदमी के इस्तेमाल की वस्तुएं शून््य ्या 5% टै्तस दा्यरे

        में लाई गोई। ररटन्ज ऑनलाइन हो गोए, एसेसमेंट भी ऑनलाइन हो
        गो्या और इंस्पे्तटर की िौज गोा्यब हो गोई। राज््यों को गोारंटी दी
        गोई भक पहले 5 सालों के भलए उन्हें उनके बेस राजस्व में 14%
        की बढ़ोतरी होगोी।

        टीम इंढ़डया का ्सब्से उम्दा उदाहरण
        जीएसटी का आधारभूत भवचार मौभलक नहीं ्था। दुभन्या के कई
        देशों में प्र्योगो के तौर पर इसे लागोू भक्या जा चुका है। अनेक त्थ््यों

        को ध््यान में रखते हुए भारती्य मॉडल को भवकभसत करना जरूरी
        ्था। भारत राज््यों का एक ऐसा संघ है, भजसमें केंद्र और राज््य
        दोनों को ही राजकोर्षी्य अ्थवा भवत्ती्य दृक्ष्ट से सुदृढ़ होना अत््यत
                                                       ं
        जरूरी है। भारत राज््यों का पररसंघ नहीं है, इसभलए केंद्र सरकार




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